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विश्व में कर रहा हाहाकार करोना।
भयभीत है दुनिया का हर इन्सान देखो ना।
हो गई सूनी गली सड़कें मोहल्ले।
परिवार है आज एक साथ घरों में अकेले ।।
क्यों ना इस कठिन समय में कोई
आशा की किरण जलाएं।
हैं हम जो घरों में तो
कोई चिंतन मन बनाएं।।
क्यों हो रहा ऐसा ?
इसका उत्तर ही ढूंढ़ पाएं!
देखो प्रकृति है खुश क्योंकि
लोग बंद हैं घरों में।
और अपने स्वार्थवश प्रदूषित
ना कर रहे इन क्षणों में।।
हवाएं हैं शुद्ध नदियों का जल भी साफ।
पक्षी भी गाते गीत उड़ रहे हैं आज,
मानो हँस हँस के प्रकृति
कर रही हो उपहास,
"रहों बंद अब घरों में लोगों तुमने,
हमें दी स्वार्थवश बहुत त्रास"।।
"आज तुम हो घर में बंद तो
हम हैं खुश मिजाज़"।।
लग रहा मानो ईश्वर ने
प्रकृति को शुद्ध करने की मंशा से
रच डाली ये महा प्रलई रात।।
क्यों ना लें हम सबक
इस महा विपत्ति से आज।
अब इस शुद्ध प्रकृति को
फिर ना होने देंगे खराब।।
ले लें सभी यह प्रण इस महा प्रलय से आज।
प्रकृति है खुश तभी हम रह सकेंगे खुश,
यही हैं शत प्रतिशत पते की बात।।
" *प्रतीक्षा* *दीक्षित* *शुक्ला* "
9826011584